Trending Posts

7/recent/ticker-posts

हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa in Marathi)

 हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa in Marathi)

हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa in Marathi)

दोहा

श्रीगुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुर सुधार।

बरनऊ रघुवर विमल यश, जो दायक फल चार।।


बुद्धिहीन तनु जाणिके, सुमिरौं पवनकुमार।

बल बुद्धी विद्या देहु मोहि, हरहु क्लेश विकार।।


चौपाई


जय हनुमान ज्ञान गुण सागर।

जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।


रामदूत अतुलित बलधामा।

अंजनीपुत्र पवनसुत नामा।।


महाबीर विक्रम बजरंगी।

कुमति निवार सुमति के संगी।।


कांचन वरण विराज सुबेसा।

कानन कुंडल कुंचित केसा।।


हाथ वज्र औ ध्वजा विराजे।

कांधे मूंज जनेऊ साजे।।


शंकर सुवन केसरीनंदन।

तेज प्रताप महा जगवंदन।।


विद्यावान गुणी अति चातुर।

राम काज करिबे को आतुर।।


प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।

राम लखन सीता मन बसिया।।


सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा।

विकट रूप धरि लंक जरावा।।


भीम रूप धरि असुर संहारे।

रामचंद्र के काज सवारे।।


लाय संजीवन लखन जियाये।

श्रीरघुवीर हरषि उर लाये।।


रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।

तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।


सहस्रबदन तुम्हरो यश गावैं।

अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।


सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।

नारद सारद सहित अहीसा।।


यम कुबेर दिकपाल जहां ते।

कवि कोविद कहि सके कहां ते।।


तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।

राम मिलाय राजपद दीन्हा।।


तुम्हरो मंत्र विभीषण माना।

लंकेश्वर भए सब जग जाना।।


युग सहस्त्र योजन पर भानू।

लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।


प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।

जलधि लंघि गए अचरज नाहीं।।


दुर्गम काज जगत के जेते।

सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।


रामद्वारे तुम रखवारे।

होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।


सब सुख लहै तुम्हारी शरणा।

तुम रक्षक काहू को डर ना।।


आपन तेज सम्हारो आपै।

तीनों लोक हांक ते कांपै।।


भूत पिशाच निकट नहिं आवै।

महाबीर जब नाम सुनावै।।


नासै रोग हरै सब पीरा।

जपत निरंतर हनुमत बीरा।।


संकट ते हनुमान छुड़ावै।

मन क्रम वचन ध्यान जो लावै।।


सब पर राम तपस्वी राजा।

तिन के काज सकल तुम साजा।।


और मनोरथ जो कोई लावै।

सोइ अमित जीवन फल पावै।।


चारों जुग परताप तुम्हारा।

है प्रसिद्ध जगत उजियारा।।


साधु संत के तुम रखवारे।

असुर निकंदन राम दुलारे।।


अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता।

अस बर दीन जानकी माता।।


राम रसायन तुम्हरे पासा।

सदा रहो रघुपति के दासा।।


तुम्हरे भजन राम को पावै।

जनम जनम के दुख बिसरावै।।


अंतकाल रघुवरपुर जाई।

जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।


और देवता चित्त न धरई।

हनुमत सेइ सर्व सुख करई।।


संकट कटै मिटै सब पीरा।

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।


जय जय जय हनुमान गोसाईं।

कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।


जो शत बार पाठ कर कोई।

छूटहिं बंदि महा सुख होई।।


जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।

होय सिद्धि साखी गौरीसा।।


तुलसीदास सदा हरि चेरा।

कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।


दोहा

पवनतनय संकट हरन, मंगलमूर्ति रूप।

राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुरभूप।।

Post a Comment

0 Comments